Author: Alok Kr. Choubey

शाम होते ही…

ॐ शाम होते ही हवाएँ गुम हैं साँस लें भी तो नहीं और जियें कैसे दिन के हर गर्दो गुबारों को लिए लौटा हूँ घर वह तो जब भूल चुका था तो मिले कैसे कितने सूरज को जो झेला हो वो कम कैसे है अब तो एहसास ही नहीं...

निकला नहीं हूँ अब तक मगर

ॐ निकला नहीं हूँ अब तक मगर निकाल दिया जाऊँगा –जब जोखिम का एक विशाल शिला खंड तुम्हारी ओर लुढकाने तुम्हारी पीढ़ी दर पीढ़ी को अचानक किसी दोपहर कुछ देर की गर्दो – गुबार में सबको शांत कर देने जिसे हटाना भी मुश्किल होगा क्योंकि वह पहाड़ ही होगा...

शरीर और प्रकृति

ॐ संसार में दो ही सम्बन्ध शाश्वत हैं – शरीर और प्रकृति का| शरीर अराजक स्वछन्द अहं- वादी शासक है जबकि प्रकृति उसकी सहचरी शक्ति है| प्रकृति प्रतिपल शरीर द्वारा पददलित उप्भोग्तावादी क्रय विक्रय की वस्तु बना दी गयी है| शरीर द्वारा सबसे अधिक दोहन प्रकृति के संसाधनों का...

शब्द

ॐ बख्श दीजिये आँखों पे ना इतना चढ़ाइए कल कोई पहचानने से इंकार ना कर दे शब्द  अजन्मा अशेष शाश्वत  मूल धातु तो ध्वनि है  जो आकृति –मूलक होकर  आकार ग्रहण करता है  उदभव भले ही किसी भाषा के महासागर से हुआ हो  फिर भी उसकी बपौती नहीं है  उसकी...

प्रेमचंद के मानवेतर चरित्र

ॐ कथाकार प्रेमचंद की लेखन शैली की विशेषता यह रही है कि चरित्र और परिवेश के चुनाव में एक सतर्क दृष्टि तथा सोद्देश्य वातावरण निर्माण के कारण कहानी प्रत्येक पाठक की आत्मचेतना की स्थायी स्मृति बन जाती है . अपने विपुल कथा सृजन में लेखक ने समाज ,व्यक्ति ,धर्म...

हमारे मोहल्ले में

ॐ हमारे मोहल्ले में – सुबह होती है कुछ लोग हाथ में झाड़ू ,पानी भरा मग लगभग दौड़ते  हुए / सब के पांव धोती लुंगी पाजामे में पहुँचने जर्जर कभी गेट रहे गेट की काली मुंडेर तक पहुँचने आकास से अधिक अगल बगल के मकानों की ओर देखते आशंकाओं...

जन गण मन

ॐ जन –आँख उठाये /तकते गगन उलझती आँखों से /संकट की राह भरोसा किसीका नहीं /हांफती जिंदगी जो छूता /वही पत्थर कहाँ जाए /किसे कहे एक खारा सैलाब /चल पड़ा है अपनी जगह /अपना आसमान /खोजने – जंगल, मैदान, सिन्धु, कावेरी, गंगा, गोदावरी, नर्मदा और पर्वत भी वह उतना...

सुख – दुःख

ॐ जिस सुख को पाया है तूने क्या वह सुख तेरा है ? जिस दुःख को पाया है तूने क्या वह दुःख तेरा है ? क्या होता सुख पा लेने पर मन की आस उमग जाती है क्या होता है दुःख पाने पर मन की आस चली जाती है...

साहित्य जीवन का कोलाज़ है

ॐ मानव जीवन की सनातन उपलब्धि का बोध जिस शास्त्र से प्रमाण सहित प्राप्त होता है उसका नाम साहित्य है . साहित्य नाम इसलिए कि इस चेतना की विशेषता सहित –ता में संभावित हुई है .मानव जीवन ने अपने विचारों ,भावों और संस्कारों की संरक्षा इसी माध्यम से किया ...

कलाम को सलाम

ॐ आज फिर हम जुटे हैं तिरंगे हवा में लहराने जश्न मनाने /देश –भक्ति के – ज़ज्बे दिल में जगाने – खोजने होंगे उन शब्दों को जिससे एक कलाम बना था जो विज्ञानं की वीणा पर –मौन ,मधुर ,सौम्य दक्षिण भारतीय राग से उद्भाषित तो हुआ ,लेकिन – अखिल...