एक पहल,
जब सोच दिशाहीन होने लगे और सकारात्मकता का आभाव स्पस्ट दिखाई पड़े, वह समय भ्रम की स्थिति पैदा करने वाला समय होता है। यह भ्रम किसी कार्य को करने या न करने के संदार्ब में नहीं बल्कि उस मानसिक प्रविर्ती को दर्शाता है जब अपनी ही कार्य छमता पर...
जब सोच दिशाहीन होने लगे और सकारात्मकता का आभाव स्पस्ट दिखाई पड़े, वह समय भ्रम की स्थिति पैदा करने वाला समय होता है। यह भ्रम किसी कार्य को करने या न करने के संदार्ब में नहीं बल्कि उस मानसिक प्रविर्ती को दर्शाता है जब अपनी ही कार्य छमता पर...
Now the critics of Hindi literature are of the opinion that the actual writing work of novel literature was done with Premchand, and whatever format or format we have received from Premchand pre-caste literature, from the historical point of view, is still controversial on the criterion of the novel
ॐ इस समय कहीं भी ,कभी भी चाहे बौद्धिक या अबौद्धिक, दैनिक जीवन के विचारों में जिस निष्फल प्रश्न को जन्म देते हैं , वह है –जाति प्रश्न | इस देश का दुर्भाग्य कि जो भी जन्म लेता है वह किसी जाति विशेष का ही जातक होता है |...
ॐ संसार में दो ही सम्बन्ध शाश्वत हैं – शरीर और प्रकृति का| शरीर अराजक स्वछन्द अहं- वादी शासक है जबकि प्रकृति उसकी सहचरी शक्ति है| प्रकृति प्रतिपल शरीर द्वारा पददलित उप्भोग्तावादी क्रय विक्रय की वस्तु बना दी गयी है| शरीर द्वारा सबसे अधिक दोहन प्रकृति के संसाधनों का...
ॐ कथाकार प्रेमचंद की लेखन शैली की विशेषता यह रही है कि चरित्र और परिवेश के चुनाव में एक सतर्क दृष्टि तथा सोद्देश्य वातावरण निर्माण के कारण कहानी प्रत्येक पाठक की आत्मचेतना की स्थायी स्मृति बन जाती है . अपने विपुल कथा सृजन में लेखक ने समाज ,व्यक्ति ,धर्म...
ॐ मानव जीवन की सनातन उपलब्धि का बोध जिस शास्त्र से प्रमाण सहित प्राप्त होता है उसका नाम साहित्य है . साहित्य नाम इसलिए कि इस चेतना की विशेषता सहित –ता में संभावित हुई है .मानव जीवन ने अपने विचारों ,भावों और संस्कारों की संरक्षा इसी माध्यम से किया ...