Category: Kavita Sangrah

जन गण मन

ॐ जन –आँख उठाये /तकते गगन उलझती आँखों से /संकट की राह भरोसा किसीका नहीं /हांफती जिंदगी जो छूता /वही पत्थर कहाँ जाए /किसे कहे एक खारा सैलाब /चल पड़ा है अपनी जगह /अपना आसमान /खोजने – जंगल, मैदान, सिन्धु, कावेरी, गंगा, गोदावरी, नर्मदा और पर्वत भी वह उतना...

सुख – दुःख

ॐ जिस सुख को पाया है तूने क्या वह सुख तेरा है ? जिस दुःख को पाया है तूने क्या वह दुःख तेरा है ? क्या होता सुख पा लेने पर मन की आस उमग जाती है क्या होता है दुःख पाने पर मन की आस चली जाती है...

कलाम को सलाम

ॐ आज फिर हम जुटे हैं तिरंगे हवा में लहराने जश्न मनाने /देश –भक्ति के – ज़ज्बे दिल में जगाने – खोजने होंगे उन शब्दों को जिससे एक कलाम बना था जो विज्ञानं की वीणा पर –मौन ,मधुर ,सौम्य दक्षिण भारतीय राग से उद्भाषित तो हुआ ,लेकिन – अखिल...