शहर शुभकामनाओं से टंगा भरा है
ॐ जन गण मन अभिशप्त आतंकित हो उठा है जिस किसी ने अपने चेहरे होर्डिंगों में हाथ जोड़े नम्रता की कोशिशों में गौर से देखो ,चमक उसकी नज़र की एक भूखे भेड़िए की लपलपाती जीभ टपकती लार की बूंदों से नहाये ,गंधाये वे शब्द हर नुक्कड़ को अपने अपने...