Month: November 2016

निकला नहीं हूँ अब तक मगर

ॐ निकला नहीं हूँ अब तक मगर निकाल दिया जाऊँगा –जब जोखिम का एक विशाल शिला खंड तुम्हारी ओर लुढकाने तुम्हारी पीढ़ी दर पीढ़ी को अचानक किसी दोपहर कुछ देर की गर्दो – गुबार में सबको शांत कर देने जिसे हटाना भी मुश्किल होगा क्योंकि वह पहाड़ ही होगा...